निर्वाचन/चुनाव क्या है पूरी जानकारी
निर्वाचन किसी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है। तथा पारदर्शी व निष्पक्ष निर्वाचन लोकतंत्र का वास्तविक आधार होता है। हम कितनी भी प्रजातांत्रिक संस्थाओं की स्थापना कर ले, लेकिन उनको संचालित करने वाले व्यकित, यदि वास्तविक रूप से जनता के प्रतिनिधि नहीं हैं, तो वह प्रजातांत्रिक संस्था व्यर्थ ही है।
निर्वाचक प्रक्रिया का अर्थ है कि संविधान में निर्धारित एक निश्चित अवधि के पश्चात विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं एवं विभिन्न पदों के लिए होने वाले चुनावों की प्रारम्भ से अन्त तक की प्रक्रिया से है। इस प्रक्रिया के संचालान में सम्पूर्ण कार्य निर्वाचन तंत्र द्वारा ही किया जाता है। निर्वाचन ही एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसको यदि एक निश्चित एवं निर्धारित अवधि के बाद प्रयोग में लाया जाता है, ता राजनीतिक संस्थाओं की वैधानिक एवं स्थायित्व पूर्ण रूपेण बना रहता है।
निर्वाचन आयोग-
भारतीय संविधान निर्वाचनों के संचालन के लिए भाग 15 में प्रावधान किया गया है। भारत में निर्वाचन कार्याें के लिए हमारे संविधान निर्माताओं ने एक स्वतंत्र व संवैधानिक निकाय की व्यवस्था की है ,जिसे निर्वाचन आयोग का नाम दिया गया है ।
अगर नियम अन्तराल के बाद निश्चित समय पर चुनाव नहीं सम्पन्न कराये जाते हैं, तो संस्थाओं की संवैधानिकता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है। इस चुनाव को सम्पन्न कराने का दायित्व निर्वाचन आयोग पर ही है। निर्वाचन आयोग के द्वारा ही निर्वाचन से सम्बन्धित समस्त कार्य सम्पन्न किये जाते है।
निर्वाचन आयोग के कार्य-
भारतीय संविधान के निर्माताओं ने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में निर्वाचन आयोग को महत्वपूर्ण माना है। निर्वाचन आयोग के प्रमुख कार्य संक्षेप में नीचे प्रकशित किये जा रहे हैं।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करता है।
- मतदाता सूची में पंजीकरण
- निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करता है।
- निर्वाचन नामावली की तैयारी, नवीनीकरण, संशोधन, मुद्रण एवं प्रकाशन करता है।
- निर्वाचन की अधिसूचना जारी करता है।
- निर्वाचन अभ्यर्थी का नामांकन।
- नामांकन पत्रों की जाँच करता है।
- उम्मीदवारों की सूची का प्रकाशन करता है।
- मतपत्र एवं चुनाव चिन्हों का आबंटन करता है।
- मतदान दल का गठन।
- मतदान का स्थगन एवं रद्द करने का काम निर्वाचन आयोग करता है।
- मतगणना
एवं परिणाम की घोषणा करता है।
- आचार संहिता का निमाण
- राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करना।
- राजनीतिक दलों को आकाशवाणी पर चुनाव प्रचार के लिए सुविधा प्रदान करना।
- प्रत्याशियों द्वारा चुनाव में किये जाने वाले खर्च को सुनिश्चत करना।
- मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देना।
- फर्जी मतदान को रोकने के लिए राज्य सरकारों को मतदाताओं को पहचान पत्र जारी करने का निर्देश देना।
- राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों की व्यवस्था करना।
- मतदान केन्द्रों की सूची भी प्रकाशित करना।
- निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करना।
- चुनाव याचिकाओं के सम्बन्ध में सरकार को परामर्श देना।
- किसी चुनाव में हुई अनियमितताओं के आधार पर उस निर्वाचन को रद्द करना तथा किसी निर्वाचन क्षेत्र में पुनः मतदान एवं मतगणना करवाना।
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