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Elections Duty: चुनाव में सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी क्यों लगायी जाती है

भारत में चुनाव की निश्चित अवधि होती है। चुनाव निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग के द्वारा कराया जाता है। केन्द्रीय चुनाव आयोग की सहायता के लिए राज्य चुनाव आयोग एवं जिला स्तर पर चुनाव कार्यालय होते हैं। चुनाव के समय आचार संहिता का पालन करना होता है जो कि निर्वाचन आयोग की शक्तियों में शामिल होती है। आचार संहिता का उल्लंघन करने पर पुलिस कार्यवाही होती है। निर्वाचन आयोग उस पर कड़ी कार्यवाही कर सकती है।

 

भारत में निर्वाचन के समय लोकसभा या विधानसभा या विधानसभा उपचुनाव में सरकारी कर्मचारियों से काम लेने का प्रावधान है। आचार संहिता के समय निर्वाचन आयोग सक्रिया हो जाते हैं जो कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के प्रति उत्तरदायी होते हैं। चुनाव की प्रक्रिया जटिल होती है इसके लिए कर्मचारी की आवश्यकता होती है। संविधान के अनुच्छेद में इस प्रकार का प्रावधान किया गया है। Read More-आचार संहिता में नयी वेेकेंसी क्याें नहीं आती?

निर्वाचन प्रक्रिया कैसें सम्पन्न की जाती है।

चुनाव की प्रक्रिया में केन्द्रीय चुनाव आयोग के कार्याें में सहायता देने के लिए राज्य में एक राज्य निर्वाचन आयोग होता है । जिसका प्रमुख मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता है जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार के परामर्श पर की जाती है।

संविधान में सरकारी कर्मचारियों से कर्म लेने का प्रावधान है।

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 324(4) में प्रावधान किया गया ह कि ’’जब चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग ऐसा अनुरोध करें, तब राष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल निर्वाचन आयोग या प्रादेशिक आयुक्त को उतने कर्मचारीगण उपलब्ध कराएगा जितने खण्ड (1) द्वारा निर्वाचन आयोग को सौंपे गये कृत्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक हों ''।

निर्वाचन आयोग के कार्यां के निर्वाहन के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर कर्मचारियों की बड़ी संख्या होती है। चुनावों के दौरान केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी अपना योगदान निर्वाचन आयोग के दायित्वों को पूरा करने में मदद करते हैं।


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