- सत्याग्रह (Satyagraha)
in english-Holding Onto Truth
- सत्याग्रह (Satyagraha) (Satyagraha) in hindi-सत्य के प्रति आग्रह
सत्याग्रह (Satyagraha) शब्द को प्रचलित करने का भारत में महात्मा गांधी जी को जाता है। महात्मा गांधी जी ने सत्य, अहिंसा का सिद्धांत प्रतिपादित किया । उनकी सत्याग्रह (Satyagraha) की ताकत ने भारत को आजादी दिलाई और अंग्रेजों को मजबूर भारत छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया।
सत्याग्रह (Satyagraha) का अर्थ
सत्याग्रह (Satyagraha) का अर्थ है सत्य के प्रति आग्रह अर्थात आत्मशक्ति, प्रेम, भक्ति और सत्य शक्ति का आग्रह। यह एक ऐसा शब्द है जो सामाजिक तथा राजनैतिक संघर्ष में खासकर गांधीवादी दृष्टिकोण को सूचित करता है।
सत्याग्रह (Satyagraha) केवल सामूहित संघर्ष और प्रतिकार की पद्धति नहीं है। यह व्यक्तिगत और घरेलू संघर्ष का भी आत्म-संयम द्वारा सामाधान प्रस्तुत करता है। सत्याग्रह (Satyagraha) शब्द केवल संघर्ष और प्रतिकार का ही सूचक नहीं है बल्कि रचनात्मक कार्याें का भी सूचक है।
सत्याग्रह (Satyagraha) में सत्य का विशेष महत्व है । चाहे कितना ही नुकसान होता हो तो भी सत्य का पल्ला नहीं छोड़ा जा सकता है।
सत्याग्रह (Satyagraha) अहिंसा का मार्ग है लेकिन निष्क्रिय प्रतिरोध में हिंसा के लिए पर्याप्त स्थ्ज्ञान है क्योंकि इसमें मौका देखकर शस्त्र का प्रयोग किया जा सकता है परन्तु सत्याग्रह (Satyagraha) में अनुकूल परिस्थ्तिि रहने पर भी बल प्रयोग वर्जित है।
सत्याग्रह (Satyagraha) का आधार गीता का निष्काम कर्मयाग है लेकिन निष्क्रिय प्रतिरोध फलवादी है। यह लक्ष्य प्राप्ति का सिद्धान्त है। इसमें समयानुसार साधन को बदला जा सकता है, जबकि सत्याग्रह (Satyagraha) का आधार साध्य व साधन की एकता है।
सत्याग्रह शब्द की उत्पति/कैंसे बना सत्याग्रह शब्द
आजादी के दौरान महात्मा गांधी ने हिन्दुस्तानियों को एकजुट कर लड़ाई का सच्चा स्वरूप तलास कर रहें थे इसके लिए वे नये शब्द की योजना करने लगे। उन्हें किसी तरह का स्वतंत्र शब्द सूझ नहीं रहा था। इन्होंने अपने अखबार इन्डियन ओपिनियन में पाठकों के लिए इनाम की घोषणा कि और प्रतियोगिता करवायी । प्रतियोगिता में मगन लाल गांधी से सत् आग्रह की संधि करके सदाग्रह शब्द बनाकर भेजा। मगनलाल गांधी को पुरस्कार दिया गया । उसके बाद महात्मा गांधी ने सदाग्रह में द को बदलकर त और य जोड़ दिया और अंततः निर्माण हुआ सत्याग्रह (Satyagraha) ।
सत्याग्रह (Satyagraha) का पहला प्रयोग
गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में निष्क्रिय प्रतिरोध शब्द का प्रयोग किया था जिसे उचित न मानकर उन्होंने सत्याग्रह (Satyagraha) शब्द का प्रयो ग किया उनके अनुसार सत्याग्रह (Satyagraha) एक ऐसी तलवार है जिसके दोनों ओर धार हैं। उसे चाहे जैसे काम में लिया जा सकता है जो चलाता है और जिस पर चलाई जाती है वे दोनों सुखी होते है वह खून नहीं निकालती लेकिन उससे भी बड़ा परिणाम ला सकती है। उसको जंग नहीं लग सकती उसे कोई चारे चुराकर नहीं ले जा सकता।
गांधीजी के अनुसार सत्याग्रह (Satyagraha) एक सकारात्मक तथा विधेयात्मक अवधारणा है। गांधी जी के मत में सत्याग्रह (Satyagraha)ी की तलवार को म्यान की जरूरत नहीं रहती। उसे कोई छीन नहीं सकता तथापि वह कमजोरों का अस्त्र नहीं है। सत्याग्रह (Satyagraha) के लिए जो हिम्मत और बहादुरी चाहिए वह तोप, का बल रखने वालों के पास नहीं हो सकती।
सत्याग्रह (satyagraha) कैंसे की जाती है?
सत्याग्रह (Satyagraha) प्रगतिशील प्रक्रिया है। इसमें न्यूनतम भी, अधिकतम है इसमें न्यूनतम नष्ट नहीं होता और पलायन का स्थान नहीं है। सत्याग्रह (Satyagraha) का संघर्ष दीर्घकालीन होता है और वह कोई लक्ष्य प्राप्ति के पश्चात ही समाप्त होता है । नवीन उद्देश्य को लेकर नवीन सत्याग्रह (Satyagraha) का प्रारम्भ किया जा सकता है। विरोधी सत्याग्रह (Satyagraha) नहीं हो सकता क्यों कि सत्याग्रह (Satyagraha) के विरूद्व सत्याग्रह (Satyagraha) नहीं किया जा सकता।
निजी हितों की पूर्ति हेतु गांधीजी ने उपवास, धरना आदि का निषेध किया है। सत्याग्रह (Satyagraha) का प्रयोग दूसरों के हितों व सार्वजनिक हितों के लिए किया जाना चाहिए। सत्याग्रह (Satyagraha) करने के पूर्व सत्याग्रह (Satyagraha) को शासकों से निरन्तर सम्पर्क रखना तथा अपनी गतिविधियों से सूचित करते रहना चाहिए। सत्याग्रह (Satyagraha) लोकमत को जागृत करेगा था शिक्षित करेगा।सभा मार्गाें को टटोलने को बाद भी अपना लक्ष्य पूरा न होने पर अपने अन्तःकरण की आवाज पर सत्याग्रह (Satyagraha) का सहारा लेगा। वह आत्मानुशासन, संयम, आत्मनियंत्रण, पवित्रता आदि को अपनायेगा तथा बुराई और बुराई करने वालों के मध्य अन्तर बनाए रखेगा। बुराई करने वालों के प्रति किसी भी प्रकार की कटुता तथा घृणा का व्यवहार नहीं किया जायेगा।
सत्याग्रह (Satyagraha) के लिए रचनात्मक कार्यक्रम को अपनाना भी आवश्यक है, यथा-चरखा, खादी, अस्पृश्यता का अंत, मद्य-निषेध, हिन्दू-मुस्लिम एकता, स्वच्छता आदि। सत्याग्रह (Satyagraha) से सम्मानपूर्ण समझौता किया जावे तो वह समझौता के लिए सदैव तैयार रहता है।
सत्याग्रह का पालन कैंसे किया जाता है?
धन-दौलत, झूठा मान-अपमान, नेह-नाता, राजदरबार, चोट-मृत्यु सबके भय से मुक्त हो जाये तभी सत्याग्रह (Satyagraha) का पालन हो सकता है।
सत्याग्रह करने के साधन/उपाय
सत्याग्रह (Satyagraha) करने के लिए निम्नलिखित साधन प्रयोग किये जाते हैं। सविनय अवज्ञा, असहयोग, हड़ताल, सामाजिक बहिष्कार, धरना, अनशन, हिजरत,
सत्याग्रही (Satyagrahi) कैसें बने/सत्याग्रह के गुण
गांधी जी के अनुसार सत्याग्रह (Satyagraha) को ब्रम्हचर्य, सत्य, अहिंसा, अनुशासन, त्याग, निर्भयता, निःस्वार्थ, परोपकार की भावना से मुक्त होकर स्वदेशी, देश प्रेमी, नैतिक भी होना आवश्यक है। इन गुणों के बिना कोइ भी सत्याग्रह (Satyagraha) सच्चा नहीं हो सकता है।
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